Saraswati Bandana in Veda

*म॒हो अर्णः॒ सर॑स्वती॒ प्र चे॑तयति के॒तुना॑। धियो॒ विश्वा॒ वि रा॑जति॥*
ऋग्वेद :१/३/१२

जो (सरस्वती) वाणी (केतुना) शुभ कर्म अथवा श्रेष्ठ बुद्धि से (महः) अगाध (अर्णः) शब्दरूपी समुद्र को (प्रचेतयति) जाननेवाली है, वही मनुष्यों की (विश्वाः) सब बुद्धियों को विशेष प्रकाशित करती है।

आज सृष्टि के आरम्भ दिवस *बसंत पंचमी* पर हम सभी की वाणी एवं बुद्धि में *देवी सरस्वती* विराजित हों, ऐसी शुभकामनाएँ।

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